बीजेपी की नई टीम पर तीन महीने तक चुप्पी साधने के बाद नितिन गडकरी ने पदाधिकारियों और समितियों का ऐलान किया तो...अब पार्टी में भूचाल सा आ गया है.....पार्टी अध्यक्ष को अपने इस पहले ही मोर्चे पर जोरदार झटका लगा है::::दो दिन पहले ही बनाई गई उनकी नई ब्रिागेड को लेकर असंतोष के बादल मंडराने लगे हैं..नई टीम को लेकर बिहार से महाराष्ट्र.... और कर्नाटक से उत्तराखंड तक, हर ओर असंतोष दिखाई दे रहा है...पार्टी के कई दिग्गज भी नई टीम के स्वरूप से खासे नाराज हैं...... शाहनवाज हुसैन नई टीम के साथ पार्टी प्रवक्ता बनने को तैयार नहीं हैं.....तो शत्रुघ्न सिन्हा ने इस सवाल पर जमकर अपनी भड़ास निकाली है.... उधर हर्षवर्धन, बीसी खंडूरी के अलावा सीपी ठाकुर और राजीव प्रताप रूड़ी जैसे बड़े और कद्दावर नेता भी..... नई टीम में महत्वपूर्ण लोगों को नजरअंदाज करने से नाराज हैं....शत्रुघ्न सिन्हा ने तो साफ कहा है कि पार्टी में कई वरिष्ठ और योग्य नेता हैं जिन्हें नई टीम में जगह नहीं दी गई....बिहारी बाबू ने कहा कि वो नई टीम से काफी दुखी हैं..इस बीच पता चला है कि ....महाराष्ट्र को प्रमुखता देने की शिकायत दूर करने के लिए बिहार के दो नेताओं राधामोहन सिंह और नंदकिशोर यादव को भी जल्द ही नई टीम में जगह मिलने की उम्मीद है....फिर महाराष्ट्र जैसे राज्य से अट्ठाईस नेता भले ही टीम में हैं....लेकिन गोपीनाथ मुंडे अभी भी अपने समर्थकों के छूट जाने से नाराज हैं...मुंबई से प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को ना लेना भी बीजेपी के केंद्रीय नेताओं को अखरा है........ टीम में रविशंकर प्रसाद को महासचिव के साथ मुख्य प्रवक्ता बनाया जाना भी बहुत से नेताओं को रास नहीं आ रहा...राजीव प्रताप रूढ़ी भी अपने पद से संतुष्ट नहीं हैं..कुल मिलाकर नई टीम को इसी रूप में चलाना गडकरी के लिए विद्रोहियों की टीम चलाने जैसा है...वो भी ऐसे समय में जब पार्टी देश के कई प्रदेशों में लगातार अपना जनाधार खोती जा रही है:::पार्टी के सुप्रीम सदस्यों की ये नाराजगी गडकरी को भारी पड़ सकती है.....खबर ये भी है कि गडकरी ने अपने कई वरिष्ठ सहयोगियों से बिना राय मशविरा किए ही अपनी नई नीट का ऐलान कर डाला...ऐसे में अगर गडकरी अपनी नई टीम से उपजे असंतोष को दूर करना चाहते हैं...तो उन्हें टीम में फेरबदल करने पड़ सकते हैं...ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं और सदस्यों की क्षमता के मुताबिक नई ब्रिागेड में साथियों को शामिल करना चाहिए...और अगर ऐसा नहीं हुआ..तो एक केंद्रीय पार्टी को अपने ही पार्टी के विद्वेश रूपी कीड़े खोखला कर सकते हैं...जो बीजेपी के लिए एक नई मुसीबत बन सकती है...इसलिए गडकरी को सोच समझकर और अपने व्यक्तित्व के अनुरूप निर्णय लेने पड़ेंगे..तभी एक बड़ी पार्टी की नाव ठीक से खे पाएंगे।