Thursday, May 5, 2011

बेटे के स्कूल का पहला दिन....


आज अक्षत पहली बार स्कूल गया...मुझे और रोली दोनों को पुनाका यानि अक्षत के स्कूल जाने की कल रात से ही बड़ी बेताबी थी.... शायद इसी वजह से मेरी आंखों में नींद रुक रुक कर आ रही थी....क्यों कि मेरा मन नींद से ज्यादा पुनाका के स्कूल जाने के ख्यालों में डूबा हुआ था...आखिरकार किसी तरह रात गुजरी और सहर हुई...खास बात ये है अक्षत के बोलने की शुरुआत के बाद से ऐसा पहली बार हुआ था जब मुझे और रोली को खुद एक्षत ने जगाया..शायद उसमें भी स्कूल जाने की ऐसी मौजें हिलोरे ले रही थीं जिनका अहसास शायद हमें नहीं था....लेकिन वो सबकुछ सुबह अक्षत की बातों में साफ नजर आ रहा था...आज की सहर यानि सुबह मेरे लिए कुछ नई थी...ऐसी सहर जिसकी हवा में मुझे आज नई ताजगी का अहसास हो रहा था...आज इसी हवा को छूकर मेरा अक्षत स्कूल जाने वाला था....मैंने और रोली ने बेहद खुशी खुशी अक्षत को तैयार किया....हालांकि हम उसे पहली बार नहीं तैयार कर रहे थे...लेकिन आज की तैयारी भी रोज से कुछ खास थी । उसकी शर्ट हो या फिर उसकी छोटी सी नीली निकर आज हर कपड़ा पहनाने में खास अहसास था..स्कूल की ड्रेस पहनकर वो तो खुश था ही...हमें भी वो आज रोज से हटकर और दुलारा लग रहा था...मन कर रहा था कि उसे पहले ढेर सारा प्यार करूं और फिर स्कूल लेकर जाऊं.....सारी तैयारी के बाद हम अक्षत को उसकी बस तक छोड़ने के लिए घर से निकले...घर से अक्षत खुशी खुशी पूरे रोमांच के साथ स्कूल के लिए निकला...स्कूल बस के आने से पहले तक वो पूरा बातूनी बन रहा था...लेकिन ठीक सात बजकर पचपन मिनट पर जैसे ही उसकी स्कूल बस आई..अक्षत उसमें जाने के लिए आगे बढ़ा....लेकिन इसी पल उसके चेहरे पर भावुकता के भाव आए ..बस में चढ़ते वक्त अक्षत की आंखों से आंसू तो नहीं टपक रहे थे..लेकिन उसके मासूम दिल का करुण क्रंदन मेरे कलेजे को छलनी कर रहा था...उस समय मैं अपने जहन में दो दो भावों को महसूस कर रहा था...एक मन मेरे बच्चे के जहनी क्रंदन से भावुक था..तो दूसरा मन उसके पहले दिन स्कूल जाने से बेहद खुश था....शायद यही भाव मेरे पापा ने उस वक्त महसूस किए होंगे....जब पहली बार मैं स्कूल गया था।..और यही भाव हर मां बाप महसूस करते होंगे...जब उनका लाडला या लाडली पहली बार स्कूल गया होगा