अगर चाहते हैं कुछ बोलना ...लेकिन बोल नहीं पा रहे ....तो यहां बोलिए...शायद हम आप मिलकर अपनी और आप की आवाज को बुलंद कर सकें....उस बुलंदी तक जिसका शोर सबकुछ ठीक कर दे...
तो बोलिए
घर से निकला था एक बेहतर नौकरी का अरमान लेकर...जिससे पिता जी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाए...कोशिश भी की...लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंचा सका उनके सपने को ..लेकिन शोहरत कमाने की धुन जहन में हमेशा तैरती रहती थी...इसी बीच पत्रकारिता के कीड़े ने काट लिया..उस कीड़े ने अभी तक परेशान कर रखा है...