कल शाम को पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी खबर आयी...मिस्र में होश्नी मुबारक के इस्तीफे का ऐलान...मिस्र के उपराष्ट्रपति की आवाज में राष्ट्रपति होश्नी मुबारके के इस्तीफे का ऐलान हुआ...होश्नी के इस्तीफे के बाद पिछले तीस साल से तानाशाही झेल रहे मिस्र में वो मुबारक घड़ी आ गई...जिसका पूरे मिस्र समेत पूरी दुनिया को इंतजार था...जिसके लिए मिस्र के 305 लोगों ने शहादत दी....इसके साथ ही 1981 से चली आ रही होश्नी मुबारक की तानाशाही के खिलाफ पिछले 18 दिनों से चल रही दुनिया की लड़ाई खत्म हो गई... एक ऐसी ऐतिहासिक लड़ाई खत्म हो गई....जिसमें आजतक हारती चली आ रही बेकसूर आवाम ने जीत हासिल की..ये जीत आवाम की है...ये जीत जनतंत्र की है...ये जीत आम इंसान के जज्वे की है...ये जीत मिस्र में नए और सुनहरे भविष्य की है...जो काहिरा के तहरीर चौक पर पिछले 18 दिनों से टकटकी लगाए थी..मैंने खुद अपने चैनल के जरिए मिस्र में मुबारक के सत्ता छोड़ने के बाद की तस्वीरें देखी...और पहली बार ऐसा हुआ था....जब किसी दूसरे देश में हो रहे बड़े परिवर्तन पर मेरे जहन ने खुशी महसूस की थी...मेरे शरीर के रोम रोम ने उठकर इस खुशी का इस्तकबाल किया...काहिरा का तहरीर स्कवॉयर...लोगों की खुशी से फूला नहीं समा रहा था...क्योंकि पिछले 18 दिनों से हिंसक वारदातों के बाद तहरीर ने भी 'मुबारक' और न भूलने वाले नजारे देखे...आम आदमी की खुशी देखी...लोगों की भावनाएं महसूस की..कोई जोर जोर से चिल्लाकर अपनी खुशी बयां कर रहा था...तो किसी की खुशी आंखों से आंसू के रास्ते उतरकर बाहर झलक रही थी..भोली भाली आवाम की इस सबसे बड़ी जीत ने दुनिया के कई हिस्सों में फैली तानाशाही के खिलाफ खतरे की घंटी बजा दी है..मिस्र में हुए तख्तापलट की सकारात्मक आग अब यमन, अल्जीरिया, मोरक्को, सीरिया, जॉर्डन, लीबिया और सउदी अरब सहित की अफ्रीकी और अरब देशों की तानाशाही को झुलसा सकती है....यहां तक की मिस्र में हुए तख्ता पलट से चीन सरकार भी डरी डरी सी नजर आ रही है.. चीन की सरकार ने मिस्र से आ रही बगावत की ख़बरों को दिखाने पर पाबंदी लगा दी थी। यहां तक की चीन में इंटरनेट पर इजिप्ट शब्द को ही ब्लॉक कर दिया है। यमन में भी बगावत के सुर बुलंद हैं...यमन में तीस साल की तानाशाही शासन से परेशान आवाम राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के खिलाफ प्रदर्शन कर चुकी है...तो अल्जीरिया में तानाशाही के खिलाफ हुए प्रदर्शन के बाद गृह मंत्री ने राजधानी में प्रदर्शन पर पाबंदी लगा दी है। विकिलीक्स ने खुलासा किया है कि मोरक्को का राजा मोहम्मद vi भ्रष्ट हो चुका है....तो सीरिया में एक ही पार्टी की 48 साल से सरकार है...पूरे सीरिया में भ्रष्टाचार ने कब्जा कर रखा है..मिस्र में जब शासन के खिलाफ विरोध के सुर निकले तो देखा देखी जॉर्डन में भी व्यवस्था में बदलाव को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए...यानि वहां भी लोकतंत्र के लिए तानाशाही के खिलाफ खतरे की घंटी बज चुकी है ...आइये अब आपको बतातें है कि आखिर मिस्र में बगावत की अलख किसने जलाई....कैसे मिस्र की जनता एकाएक तानाशाही की खिलाफत मे उतर आयी...अरब देशों में लोकतंत्र की ये लड़ाई 17 दिसंबर के jasmine Revolution से शुरू हुई.. जिसमें एक शख्स ने ट्यूनीशिया के सिडि बौज़िदी शहर में खुद को आग लगा ली.. जिसके बाद यहां चार हफ्ते तक राष्ट्रपति जैनुल आबेदीन बेन अली की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे...तेईस साल तक ट्यूनीशिया पर शासन करने वाले बेन अली आखिरकार डेढ़ टन सोना लेकर भाग खड़े हुए..ट्यूनीशिया ही वो देश है जिसने तानाशाही के खिलाफ चिंगारी का काम किया...वहां से लोकंतंत्र की हवा के साथ विरोध की चिंगारी यमन से होते हुए मिस्र तक पहुंच गई....जिसने मिस्र में मुबारक इतिहास रच डाला
अब मिस्र की चिंगारी कहां-कहां तानाशाही को जलाकर राख करने वाली है....बस देखते जाइये...कोई हर क्रांति को बस हवा चाहिए...वो मिस्र ने बहा दी है