Friday, January 1, 2010

तिवारी जी ये क्या हुआ?


एनडी तिवारी....एक लंबी राजनीतिक पारी का अनुभव रखने वाला एक शख्स....जिसके सार्वजनिक जीवन पर जिंदगी के आखिरी पड़ाव में दाग लग गया....एक ऐसा दाग जो भले ही सही ना हो ....उसके निशान छुटाने से भी अब नहीं छूटेंगे....लेकिन अफसोस होता है....स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर गांधी जी के साथ का अनुभव और उसके बाद देश के विकास में योगदान देने वाले की ऐसी विदाई....परेशान करती है....ये अलग बात है कि नारायण दत्त तिवारी आज भी इस दंश को अपने राजनीतिक जीवन से विदाई नहीं मानते..सत्तासी साल की ये राजनीतिक शख्सियत अभी भी अपनी पारी खेलने के प्रति आ·ास्त है....उन्हें लगता है....कि इससे उनके लंबे और अनुभव जीवन पर कोई आंच नहीं आएगी...हैदराबाद में अपना इस्तीफा देने के बाद वो देहरादून पहुंचे.... जहां उनके समर्थक फूल मालाएं लेकर उनके सम्मान में खड़े थे...चारो तरफ से एक ही नारा हवाओं में था...कि तिवारी तुम संघर्ष करो हम तुमहारे साथ हैं....वहीं कुछ महिलाओं और संगठनों ने एयरपोर्ट के बाहर उनके खिलाफ नारे भी लगाए...और उनका पुतला भी फूंका...इन दोनों ही नजारों की जानकारी तिवारी जी को थी....लेकिन एयरपोर्ट से बाहर निकलते समय उनके चेहरे पर अपने ऊपर लगाए गए आरापों की शिकन और तल्खियां नजर नहीं आ रही थीं...ना ही ऐसा लग रहा था कि उन्हें कोई पछतावा है...देहरादून में उन्होंने इस पूरे मामले को अपने खिलाफ साजिश बताया..और इसके पीछे कई तरह की बातें बताई....उन्होंने कहा कि अच्छा ही हुआ....इस उम्र में आंध्रा की परेशानियां मुझसे झेली नहीं जातीं...वहां अगल राज्यों को लेकर कई आंदोलन चल रहे हैं...और उनमें से फिलहाल सबसे प्रभावी तेलंगाना मुद्दे पर मुझपर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही थी....इसके अलावा लोग राजभवन से कई तरह के निजी फायदे भी चाहते थे....जिसके लिए मुझपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था...लेकिन राजभवन की अपनी गरिमा है...उसके साथ मैं खिलवाड़ नहीं कर सकता...और इसीलिए मैं वहां से खुद ही आना चाहता था....इस्तीफा देने के सवाल पर तिवारी जी ने कहा कि उन्होंने सेक्स स्कैंडल के आने से पहले ही केंद्र को अपना त्यागपत्र दे दिया था...सवाल ये उठता है कि अगर ऐसा था...तो तिवारी जी वहां से पहले ही क्यों नहीं आ गए...सेक्स स्कैंडल में नाम उछलने के बाद ही वहां से वापस क्यों आए...इतना बड़ा आरोप लगने के सवाल से भी तिवारी जी खुद को बेहतर तरीके से बचाते नजर आए...उन्होंने कहा कि लोगों ने तो गांधी जी जैसी महान हस्ती को भी नहीं छोड़ा..हम तो कुछ भी नहीं हैं। क्या तिवारी जी की बातें सही हैं...या फिर आरोपों में सच्चाई है....ये तो तिवारी जी से बेहतर कोई भी नहीं जानता...लेकिन सवाल ये भी है कि बार बार तिवारी जी पर एक ही तरह के आरोपों क्यों लगते रहे हैं...ऐसा उनके समकक्ष और उनके राजनीतिक कद के बराबर की दूसरी शख्सियत के साथ देखने को क्यों नहीं मिलता...इसका जवाब भी तिवारी जी से बेहतर भला कौन दे पाएगा। काश उनके गरिमामयी सफर के साथ आजकल का ये मामला ना जुड़ा होता...तो शायद बेहतर ही होता....क्योंकि ऐसे बोझ रूपी आरोप ...चाहे वो सही हों या फिर गलत...जब तक जिंदगी रहती है....सालते ही रहते हैं....और तिवारी जी को चुभाए गए ये आरोप रुपी कांटे सिर्फ उन्हें ही नहीं उनके प्रशंसकों को हमेशा चुभते रहेंगे....और उनके लंबे अनुभवी सामाजिक जीवन पर सवाल उठाती रहेगी।इस पर अगर आप कुछ बोलना चाहें....तो जरूर बोलिए....

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