Tuesday, December 8, 2009

दो सिर वाला लड़का !

अभी दो तीन दिन पहले की बात है..मुझे एक स्पेशल पैकेज लिखने के लिए कहा गया...स्लग था... दो सिर वाला लड़का....आप के लिए भी थोड़ा बहुत तो अजीबोगरीब होगा ये लड़का....ये लड़का बिहार के दरभंगा में लगे एक मेले में आया था...जहां उसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुट रही थी....खास बात ये है ुइसके लिए लोगों को टिकट लेना पड़ रहा था...मतलब की लड़का नुमाइश का सामान बनकर वहां आया था...उसे देखने वाले लोग भी उसे देखकर अपनी हैरानी प्रकट कर रहे थे..जहां लोगों उसे देखकर हैरानी हो रही थी...वहीं तरस भी आ रहा था. कि वो बेचारा कैसे रहता होगा..कैसे उसकी दिनचर्या कटती होगी...लोग आते और देखकर चले जाते...इस बात की खबर हमारे पत्रकार भाइयों को लगी...उन्होंने उसको कहानी बनाकर चैनल और अखबार में परोसने की ठानी...सो पहुंच गए कैमरा और कागज, कलम लेकर...दो सिर वाले अजूबे लड़के से बात की और उसको मेले में लाने वाले से भी बात की...हो गई स्टोरी तैयार..फिर भेज दी गई अपने अपने ऑफिसेज में...चैनल और अखबार के दफ्तरों में...चैनलों ने इस स्टोरी को बखूबी परोसने की कोशिश की....हेडर चलाए...शर्मसार हुई मानवता/ दो सिर वाला लड़का देखो/नुमाइश का सामान बना लड़का/क्या सही है नुमाइश?/ कुदरत का अनोखा खेल...कुछ इसी तरह के हेडर के जरिए स्टोरी को व्यूवर्स के सामने परोसा गया...अधिकारियों से बात-चीत दिखाई गई....कुल मिलाकर लुब्बोलुवाब ये रहा कि....मीडिया में इस खबर को इन नजरिए से पेश किया गया कि जिस लड़के को सहानुभूति मिलनी चाहिए...जिसे सही इलाज की जरूरत है....देखभाल की जरूरत है...उसे तिजारत का सामान बनाकर नुमाइश में बैठा दिया गया है....और मैं भी और शायद आप भी इस बात को गलत ही मानेंगे...कि उस लड़के साथ गलत हो रहा है....इस बारे में अधिकारियों ने चैनलों और अखबार पर खबर आने के बाद जांच का आ·ाासन दे दिया...कि जो भी कुछ हो रहा है वो गलत है...।ये तो था पहला पहलू...उसके बाद दूसरा पहलू देखिए....जो चैनलों और अखबार के दफ्तरों में मुझे देखने को मिला...अच्छी रही स्टोरी....खूब बिकी....लोगों ने खूब देखा...जैसी बातें हो रही थीं दो सिर वाले उस लड़के की स्टोरी के बारे में...बस हो गया अपना काम पूरा....अब मैं जो कहना चाहता हूं उस पर आता हूं....अपने खुद इस स्टोरी को लिखा था...और ऑन एयर कराया था...जिसके बाद मेरे मन में कई तरह के सवाल सामने आ रहे थे...कि क्या बस हमारा फर्ज पूरा हो गया...जिस लड़के की स्टोरी हमने दिखाई....उसके बारे में हमारे कर्तव्य क्या पूरे हो गए...जो शख्स उस बच्चे को नुमाइश में लाया था...हमने स्टोरी में उसकी खूब खिंचाई की थी...कि उसने गलत किया ये सही नहीं है...उसने मानवता को शर्मसार किया....किसी की मजबूरी को पैसे कमाने का जरिया बना दिया...लेकिन आप जानते हैं उस शख्स ने उस बच्चे को एक अनाथ आश्रम से गोद लिया था..क्योंकि दो सिर हाने की वजह से उसके अपने मां बाप ही उसे छोड़कर चले गए थे...मान लीजिए वो उसी अनाथ आत्रम में ही रह जाता ...तो तब क्या होता....क्या कोई आम इंसान, बेऔलाद दंपति उस बच्चे को अपने घर ले जाता....शायद नहीं....फिर क्या करता वो बच्चा..मीडिया को लोगों की पीड़ा को सामने लाने और उसे दूर करने वाला ....की नजर से लोग देखते हैं...लेकिन क्या हकीकत में हर जगह मीडिया ऐसा करती है...अब जब मामला मीडिया में पहुंच गया...तब से लेकर आज तक उस दो सिर वाले लड़के के बारे में मीडिया ने क्या किया....बस खबर चलाकर इतिश्री कर ली...अब कोई पूछने वाला भी नहीं है उस बच्चे को....कि कहां गया वो...अगर उसके मालिक ने उसे इस काम से अलग कर भी दिया....तो उसका पेट कौन भरेगा....मीडिया में आई खबरें...या हमारी आपकी संवेदनाएं....हो सकता है इस मामले में मै थोडा भावुक हो गया हूं...लेकिन क्या ये सच नहीं है...मेले से हटाए जाने के बाद उस शख्स को अपनी जीविका का दूसरा साधन भी ढूंढना पड़ेगा...जो कि बहुत आसान नहीं होगा..ऐसे में जब वो लड़का उसके काम का नहीं है...तो वो भला कब तक उसकी देखभाल कर पाएगा इस दुनियां में... ऐसी दुनिया में जहां लोग अपने ही मां बाप को बुढौती में छोड़ने से नहीं हिचकिचाते...मैं कहना ये चाहता हूं..कि जब मुद्दा उठाया गया हो....तो उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश भी हम लोगों को करनी चाहिए...क्यों ताकि मीडिया सिर्फ खबरों को उछालने का एक माध्यम ना कहा जाए....बल्कि लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाने का जरिया भी माना जाए....इस नजरिए कि पहल हमें ही करनी होगी...शायद हमारी आपकी कोशिशों और पहल से इस तरह की जिंदगी जीने वालों की दुनिया रौशन हो जाए

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