Wednesday, November 25, 2009

मलाल......

बात उन दिनों की है जब मैं रिपोर्टिंग में था....खबर मिली कि नोएडा के रजनीगंधा चौक के पास से एक मोटरसाइकिल सवार का कार में सवार लोगों ने अपहरण कर लिया....मैं फौरन अपने कैमरामैन के साथ स्पॉट पर पहुंच गया....लेकिन वहां कुछ नहीं था...चौराहे पर ही कोने में पुलिस चौकी है....सो जानकारी के लिए वहां पहुंचा...वहां भी काफी देर तक तो कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आया...फिर एक जनाब नजर आए तो उन्होंने बताया कि अपह्मत युवक की मोटरसाइकिल पीछे खड़ी है...और इसके अलावा फिलहाल अपने पास कोई जानकारी नहीं है...अपने सूत्रों से जानकारी की..तो पता चला कि मोटरसाइकिल गाजियाबाद के किसी शख्स की है..लेकिन उसने गाड़ी छह महीने पहले नोएडा के एक सज्जन को बेच दी थी...फिर क्या था उन सज्जन का नाम पता खंगाला गया...पता चला कि जनाब सेक्टर सत्ताईस के एक मकान में रहते हैं...फिर क्या था फौरन हम लोग उनके मकान की ओर दौड़े...भई आखिर टीआरपी का खेल है...सो सबसे पहले विजुअल बटोरने की होड़ तो थी ही...और मैं किसी से पीछे कैसे रह सकता था...पहुंचे अपह्मत हुए भाई साहब के घर...उनकी पत्नी को तबतक जानकारी नहीं थी...हम लोगों ने बताया तो...मानों घर में भूचाल आ गया हो...दहाड़ मार मार कर रोने लगी वों...और बात भी कुछ ऐसी ही थी..हम लोगों ने उनको ढांढस बंधाया...और फिर उनसे जानकारी ली..पता चला कि उनके पड़ोस के ही रहने वाले एक नामचीन शख्स से उनकी मकान को लेकर झगड़ा चल रहा है...वो उन्होंने उन्हीं नामचीन पर अपना शक जाहिर कर दिया...फिर क्या था हम लोग पहुंचे....उन नामचीन सज्जन के यहां...जहां वो अपनी पत्नी के साथ बैठे हुए थे...हम कुछ पूछते तबतक पुलिस भी आ गई..सो उनसे कुछ पूछने का मौका नहीं मिला...हां इतना जरूर था कि कैमरामैन ने पुलिस और उक्त नामचीन शख्स के विजुअल जरूर बना लिए थे...फिर हम पहुंचे...थाना बीस जहां हमनें उन नामचीन की बाइट लेनी चाहिए...लेकिन उन्हें नाराजगी जाहिर करते हुए बाइट देने से इनकार कर दिया...हमें क्या था हम तो अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित थे ही ...उठाई लेखनी और लिख डाला एक शानदार पैकेज झ्र् दो पक्षों बाइट वाली कहानी ट ...हालांकि इसमें दूसरे पक्ष की बाइट नहीं मिली थी....और कैमरामैन को विजुअल्स की लॉग सीट यानि दृश्य विवरणिका तैयार करने के लिए कहा...अभी हम चैनल को खबर भेज भी ना पाए थे...कि खबर मिली कि अपह्मत हुए युवक के मिलने की खबर मिली...हम भागे भागे थाना बीस पहुंचे ...जहां एसएसपी इस मामले में पीसी कर रहे थे...हमने भी देखा अपह्मत युवक को...उन्होंने बताया कि उनके मुहल्ले में रहने वाले उसी नामचीन शख्स ने उनका अपहरण कराया था।...खैर हमने एक और खबर पैक की...और भेज दिया अपने चैनल में...खबर चल गई...मैं खबर चलवाकर भूल गया कि ऐसा कुछ हुआ था...दो दिन बाद की बात हैं मैं एक चौहारे पर कोई कवरेज कर रहा था...उसी दौरान मेरे पास एक फोन आया...एक महिला रो बिलख रही थी...और मुझसे पूछ रही थी कि क्या आप ईटीवी से हैं...मैंने जवाब दिया हां...फिर क्या था फोन पर ही उन महिला ने आंसुओं का समंदर बहा दिया...इस समंदर में एक क्षण को मैं भी डूबने लगा था...लेकिन मैंने खुद को संभाला और उनकी बात सुनी...वो बता रही थीं...कि उनके पति को पुलिस ने फर्जी मामले में फंसा दिया है...जानते हैं ये वही मामला था....जिसमें सेक्टर सत्ताईस में रहने वाले युवक की धर्मपत्नी ने उनके ही सेक्टर में रहने वाले नामचीन शख्स पर अपहरण का आरोप लगाया था...मैंने उन महिला की बात सुनी...वो उन्हीं नामचीन की पत्नी थीं....और सिसककर रो रही थीं...उन्होंने मुझे बताया कि पुलिस ने उनके पति के खिलाफ झूठा मामला बनाया है...इतना ही नहीं रिपोर्ट में पुलिस ने उनके पति को गाजियाबाद के जंगलों से गिरफ्तार करने की बात कही थी...जबकि हकीकत में उन्हें पुलिस हमारे सामने घर से ले गई थी...वो मुझसे आग्रह कर रही थीं...कि मैं उन्हें घटना वाले दिन के विजुअल्स मैं उन्हें उपलब्ध करा दूं....आपको जानकारी दे दूं...कि उनके घर में मियां बीवी के अलावा कोई नहीं था...मेरा मतलब उनके बच्चे नहीं थे...ऐसे में वो महिला बेचारी किन हालात से गुजर रही थीं..कि अंदाजा शायद आप लगा सकते हैं...उम्र के ढलते पढ़ाव में एक महिला का एक मात्र साथी जेल चला जाए..तो उसके दिल पर क्या गुजर रही होगी...मैंने उनकी बात सुनी और फिर उन्हें एक आ·ाासन देकर फोन रख दिया...हालांकि आ·ाासन देना मेरे डेली रूटीन में था...और मैं फिर अपने काम में जुट गया..थका हारा घर पहुंचा...लेकिन उस महिला की बातें मेरे जहन से निकलने का नाम नहीं ले रही थीं...मैं अतंरद्वंद में पड़ा था...समझ नहीं पा रहा था कि क्या करू...पुलिस की इस हरकत पर मुझे बड़ा क्रोध आ रहा था....लेकिन चुप था..एक बात और जिन जनाब का अपहरण हो गया था...उन्होंने भी पुलिस के सामने बयान दिया था कि वो शख्स उन्हें साथ लेकर गाजियाबाद के जंगलों में गया था...यानि अपह्मत होने वाला शख्स भी झूठ बोल रहा था...और इस तरह मुझे मामले में कई पेंच नजर आए...इस जानकारी के दिमाग में आने के बाद... मन ने कहा कि उस महिला की मदद करनी चाहिए...आखिर किसी इंसान को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है..और मैं जानते हुए कैसे चुप रहूं..बस फिर क्या था मैंने अपनी टेप...यानि कैसेट खंगालनी शुरू की..लेकिन नहीं मिली..मजबूरन किसी और से कहना पड़ा और मैंने वो टेप सीडी में ट्रांसफर कर उन महिला को पकड़ा दी....जिसके बाद उसी सीडी के बिनाह पर पर कोर्ट से उन नामचीन शख्स को जमानत पर छोड़ दिया..उन्होंने इसके लिए मुझे इसके लिए जमकर धन्यवाद दिया...मैं घर आ गया...वो नामचीन इस बुढ़ापे में आज भी उस मामले में कोर्ट में केस लड़ रहे हैं....उनके साथ कभी ना खत्म होने वाली तारीखों का दौर जारी है..लेकिन मैं उस घटना के बाद से कई दिनों तक पुलिस की हकीकत पर बहुत नाराज था...लेकिन क्या करता...सिस्टम है यहां ना जाने कितने पुलिसवाले कितने मासूमों को फर्जी केस में अंदर कर देते हैं...शायद पैसे के लिए या फिर किसी और स्वार्थ के लिए...मैं नहीं जानता...उसके बाद कई मामलों में इस तरह की सच्चाई मेरे सामने आई लेकिन सिर्फ इस एक मामले के अलावा मैं किसी और में... कभी कुछ कर नहीं पाया....इसका मुझे आजतक मलाल है...आज मुझे अचानक ये बात याद आई सो मैंने सोचा कि अपने इस लेख के जरिए ही सही अपने इस मलाल को आपसे बांटकर कुछ कम करूं....हालांकि आप में से बहुत से लोग होंगे जो इस सच्चाई से रोजाना नहीं तो कभी ना कभी दो चार होते रहते होंगे।

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