Wednesday, November 4, 2009

युवा पत्रकारों की कहानी...भाग 2

pichhale लेख में पत्रकारिता की एबीसीडी...के बारे में और पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले युवा पत्रकार साथियों की मुश्किलों का जिक्र किया गया था....अब उसके आगे की कहानी पर बेबाक बनना चाहता हूं...अपने जहन में पत्रकारिता के समंदर को समेटे हुए ये युवा पत्रकार फडफड़ाते रहते हैं....मचलते रहते हैं कि काश कोई उनके गम ए बेरोजगारी को समझे...और उन पर रहम करे....लेकिन इंतजार के ये पल इतने लंबे होने लगते हैं कि इन युवा पत्रकारों को अब....पत्रकारिता की बारीकी समझने से पहले उसमें प्रवेश की जद्दोजहद का अंदाजा हो जाता है....बिल्कुल शांत सा दिखने वाला ये प्रोफेशन...अंदर से कितना उथल पुथल भरा है....इसका अंदाजा इन युवा पत्रकार साथियों से ज्यादा कौन समझ सकता है....इन्हें अब वो सब बातें याद आती हैं...जो इनके जानने वाले किसी पत्रकार ने इनसे कही थीं...जो इनसे दो चार साल पहले ही मीडिया में दाखिल हो चुके हैं..जिन्होंने इन्हें इस क्षेत्र में ना आने की सलाह दी थी..लेकिन उस समय तो ये युवा पत्रकार साथी उनसे ही सवाल करने लगते थे...कि आप भी तो इसी लाइन में हैं...आपको नौकरी कैसे मिल गई...लेकिन तब वो पत्रकार कैसे इस नई पौध को बताता कि उसकी व्यथा क्या है...कितनी कड़वाहट समेटे हुए हैं...वो अपने जहन में...इस प्रोफेशन की असलियत के बारे में ...हकीकत के बारे में....लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर मुझे क्या सूझी जो मैं ये लेख लिखने बैठ गया...पत्रकारिता की हकीकत की ऐसी की तैसी करने लगा....तो ऐसा बिल्कुल नहीं है...मै सिर्फ इस नई पौध यानि नए पत्रकारों को जो अभी तक पत्रकार नहीं बन पाए हैं...और पत्रकार बनने की धुन संजोए हुए हैं....उनको इस हकीकत से रूबरू कराना चाहता हूं....ताकि वो खुद और अपने दूसरे साथियों को इस बारे में ...इस हकीकत के बारे में बता दें....अगर हकीकत जानने के बाद आप इस मैदान में लड़ने के लिए आते हैं...तो आप खुद को यहां लड़ने के लिए तैयार कर पाएंगे....अन्यथा मायूसी के अंधेरों में खुद को ढूंढने की कोशिश करेंगे...तो अगर आप अब खुद को तैयार कर चुके हैं ....तो आइये एक नया सुनहरा कल आप के लिए तैयार है....बोलते रहिए.....

2 comments:

  1. अरविंद जी आपकी बातें अच्छी लगीं...उनमें हकीकत के करीब होने का माद्दा नजर आता है...लगे रहिए...ऐसे ही प्रयास करते रहिए

    ReplyDelete
  2. अरविंद जी आपकी बातें अच्छी लगीं...उनमें हकीकत के करीब होने का माद्दा नजर आता है...लगे रहिए...ऐसे ही प्रयास करते रहिए

    ReplyDelete