उड़ानों के लिए खुद को बहुत तय्यार करता है
ज़मी पर है मगर वो आसमां से प्यार करता है
ये कैसा दौर है इस दौर की तहजीब कैसी है
जिसे भी देखिये वो पीठ पर ही वार करता है
गुज़र जाते हैं बाकी दिन हमारे बदहवासी में
ज़रा सी गुफ्तगू कुछ देर बस इतवार करता है
तुम्हारे आंसुओं को देखना मोती कहेगा वो
सियासतदान है वो दर्द का व्यापार करता है
हवस के दौर में बेकार हैं अब प्यार के किस्से
घडा लेकर भला अब कौन दरिया पार करता है
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Mohalla Live
8 years ago
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