Thursday, November 5, 2009

श्रद्धांजलि.....पत्रकारिता पुरुष को

पत्रकारिता को जीने वाले पत्रकारिता के स्तम्भ...माने जाने वाले प्रभाष जोशी..अब हमारे बीच नहीं है...गुरुवार रात को भारत ऑस्ट्रेलिया मैच के खत्म होने से कुछ देर पहले ही..प्रभाष जी को दिल का दौरा पड़ा...दौरा पड़ने के बाद बगल के डॉक्टर...को बुलाया गया....जिन्होंने परिवार के लोगों को प्रभाष जी को दिल का दौरा पड़ने की खबर दी..उसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया...जहां डॉक्टरों ने उनके ना होने की जानकारी दी...इसी के साथ बन गया पत्रकारिता का एक शून्य ...जिसे भर पाना किसी के लिए फिलहाल मुमकिन नहीं है...मैं प्रभाष जी से सिर्फ एक ही बार मिल पाया...इसे चाहे मेरी खुशनसीबी कहें...या फिर दोबारा ना मिल पाने की बदनसीबी...लेकिन करीब से मिलने के बाद जो कुछ मैंने ...उनकी शख्सियत में पाया...वो वाकई....अदभुद था...हिंदी हो या फिर इंग्लिश दोनों भाषाओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी...किसी भी लेख को दोनों ही भाषाओं बखूबी लिखने का माद्दा था उनमें...राजनीति की गंदगी और खेल खासकर क्रिकेट पर लिखने में वो भी करारा लिखने में उनको महारत हासिल थी...पत्रकारिता में बहुत ही कम ऐसे नाम हैं...जिनके लेखों से सरकारें हिल जाती रही हैं...उनमें से प्रभाष जी सर्वोपरि माने जाते हैं....प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री सभी उनके लेखों के जरिए कभी ना कभी चोटिल जरूर हुए....पत्रकारिता को अपना जीवन मानने वाले प्रभाष जी ने कभी भी अपने सिद्धांतो से समझौता नहीं किया...वो हमेशा से सेना पर दुश्मन के सीने पर गोली तानने वाले सिपाही की तरह अपनी कलम के साथ डटे...प्रभाष जी अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं....जिनमें से एक बेटा और बेटी पत्रकारिता में ही हैं...जबकि एक एयर इंडिया के साथ कार्यरत हैं..हम उनके चले जाने के बाद खाली हुई उनकी जगह को भर तो नहीं सकते ...लेकिन उनको अपने लेख के जरिए एक श्रद्धांजलि देने की कोशिश कर रहा हूं...ई·ार उनकी आत्मा को शांति दे......

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