Sunday, November 15, 2009

कॉपियों का मूल्यांकन

शिक्षकों को देश के कर्णधारों का निर्माता माना जाता है...हमारी नई पौध को तराशकर उन्हें जिंदगी में अपने पैरों पर खड़े होने के लायक बनाने का काम शिक्षकों के जिम्मे होता है...और शायद इसीलिए शिक्षक का स्थान हर घर में आदरणीय होता है...माना जाता है...लेकिन आजकल बहुत से ऐसे शिक्षक हैं...जिन्होंने इस पेशे को गंदा करने में कोई कोरकसर बाकी नहीं रखी है...इसी का ताजा उदाहरण मुझे हरियाणा के लोहारू में देखने के लिए मिला...जहां मेरे साथ काम करने वाले मेरे साथी प्रवींद्र...एक माध्यमिक स्कूल में चल रहे हरियाणा शिक्षा बोर्ड की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के बारे में जानकारी लेने पहुंचे थे...लेकिन वहां का नजारा देखकर वो हैरान रह गए...स्कूल के शिक्षक घर से कॉपियां लेकर आ रहे थे ...वो कॉपियां जो बोर्ड परीक्षा की थीं...वो कॉपियां जिन्हें घर ले जाना अवैध है....लेकिन वहां के ज्यादातर शिक्षक इस काम में लिप्त नजर आए...इन सभी बातों को लोगों के सामने लाने के लिए प्रवींद्र ने ये जानकारियां अपने कैमरे में साक्ष्य के तौर पर बटोरी....इतना ही नहीं कुछ ऐसे भी शिक्षक वहां नजर आए...जो इस मूल्यांकन कार्य के योग्य ही नहीं थे..यानि ना तो वो कहीं पढ़ाते थे...और ना ही उनके पास इसके लिए आवश्यक डिग्री....लेकिन वो मूल्यांकन कर रहे थे...जब प्रवींद्र ने उनसे बात करनी चाही तो वो भाग खड़े हुए...इतना ही नहीं शिक्षकों ने नाम ना लेने की शर्त पर यहां तक बताया कि बहुत से शिक्षक ऐसे हैं...जो अपने घर में अपने बच्चों से कॉपियों का मूल्याकन कराते हैं ...खैर यहां तक भी ठीक था...लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जिनके घर पर कॉपियों को ठीक कराने वालों की भीड़ भी जुटती है....जिसका मतलब आप बखूबी समझते हैं...यानि विद्यार्थियों के साथ क्या कुछ चल रहा है...और उनके भविष्य के साथ कैसा खिलवाड़ हो रहा है....ये आप समझ सकते हैं...इसमें उन हीरो टाइप छात्रों की तो चांदी हो जाती है...जो साल भर सिर्फ मटरगश्ती करते हैं....लेकिन बेचारे मारे वो जाते हैं जो पूरी साल अपनी आखें कमजोर कर परीक्षा देते हैं...ऐसे मूल्यांकन का नतीजा ये होता है...कि असल विद्यार्थी गलत मूल्यांकन का शिकार हो जाते हैं ...और जो ना पढ़ने वाले हैं ...वो जोर और सिफारिश का पूरा इस्तेमाल कर वाहवाही के हकदार बन जाते है....इससे अच्छी मेधा वाले बच्चों में विकार पैदा होता है...ऐसे में मेरे जहन में ये सवाल उठता है कि क्या कोई ऐसी चीज बची है...जिसमें मोलभाव नहीं होता है...जिसमें धांधली नहीं है जिसमें भ्रष्टाचार नहीं है....लेकिन ऐसे सवालों के जवाब के लिए हम सभी को आवाज उठानी पड़ेगी ...बोलना पड़ेगा

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